आज बंसन्त पंचमी है माँ सरस्वती जी का दिन , माँ हम सभी को सद्बुद्धि दे , ताकि हम सभी नेक काम करे और को भी इसकी प्रेरणा दे -
वर दे, वीणावादिनि वर दे !
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे !
काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर;
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे !
नव गति, नव लय, ताल-छंद नव
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव;
नव नभ के नव विहग-वृंद को
नव पर, नव स्वर दे !
वर दे, वीणावादिनि वर दे।
माँ सरस्वती जी के अन्य नाम माँ शारदा ;माँ वीणा; माँ वग्शेवरी ;माँ भारती ;वग्देवी और शतरूपा है
वर दे, वीणावादिनि वर दे !
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे !
काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर;
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे !
नव गति, नव लय, ताल-छंद नव
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव;
नव नभ के नव विहग-वृंद को
नव पर, नव स्वर दे !
वर दे, वीणावादिनि वर दे।
माँ सरस्वती जी के अन्य नाम माँ शारदा ;माँ वीणा; माँ वग्शेवरी ;माँ भारती ;वग्देवी और शतरूपा है