Monday, November 30, 2009

एक तस्वीर

हमारे रेलवे के सफाई कर्मचारी सफाई रखे न रखे पर ये छोटे -छोटे बच्चे अपने पेट भरने के लिए अपनी कमीज से रेल के अंदर की सफाई करते नज़र आ जायेगे| ये एक ऐसे ही बच्चे की तस्वीर है| इसकी आखो में भी एक सपना है|शायद कभी न कभी इस पर किसी मेहरबान की नजर इस पर पड़ेगी औरइसकी भी दुनिया बदलेगी|

Sunday, November 29, 2009

अपनी अपनी सोच

एक बार हम दोस्ते-दोस्ते मिल के मन्दिर गयी,वहां हमने भगवान को प्रसाद चढाया| सब अपनी मस्ती में गुम थे, वहा बैठे तमाम भिखारी को सबने प्रसाद दिया और आगे बढ़ गयी मै पीछे थी मेरी निगाह एक ऐसे भिखारी पर पड़ी जिसके हाथ नहीं था ( ऐसा नहीं था कि उनने उस भिखारी को नहीं देखा पर उसे देख कर वो बोली अरे इसके तो हाथ ही नहीं इसको प्रसाद केसे दू इसका तो कटोरा भी नहीं ये कहकर वो हंसकर आगे बढ़ गयी)मेरी निगाह उसी भिखारी पर अटक गयी मै उसके पास तक गयी उसे देखकर बोली प्रसाद ---- ये कहकर उसकी तरफ देखा उसने शाल से अपना कटा हाथ निकला जो कोहनी से थोडा ऊपर तक नहीं था मैने उसके उसी हाथ पर प्रसाद रख दिया उसने दुसरे कटे हाथ की सहायता से उस प्रसाद को अपने मुख में डाल लिया| जब तक मैंने सडक पार की वो मुझे मैं उसे देख रहे थे| उसे प्रसाद खिला कर मुझे बहुत ख़ुशी हुई मेरी दोस्ते को मैं पागल लगी ये पागल पन मुझे अभी भी याद है और अभी भी मैं ये पागल पन करती हु|

Thursday, November 26, 2009

कांच और दिल

कांच के टूटने की आवाज होती है|
दिल के टूटने की नहीं|
टुटा हुआ कांच सबको दिख जाता है,
टुटा हुआ दिल किसी-किसी को ही -
दिखता है|

Tuesday, November 24, 2009

कुछ नही रखा सिर्फ़ दिल लगाने में

बहुत कुछ है इस जमाने में -
कुछ नहीं रखा सिर्फ दिल लगाने में|
लगा के दिल,आखो को रुलाओगे-
खुद को भी ढूढ़ नहीं पाओगे|
ना आस पास किसी को पाओगे|
तब ज़माने की याद आएगी-
दिल से बड़ा दर्द नज़र आएगा-
फिर खुद को जान पायेगा|
उठा के कदम जब बढाओगे|
कोई ना कोई मिल जाएगा,
दर्द बाटने के लिए|
कुछ नहीं रखा घुट घुट के जिए जाने में
बहुत कुछ है इस जमाने में
कुछ नहीं रखा सिर्फ दिल लगाने में|
लगा के दिल किसने क्या पाया है ,
लगा के दिल अपनों को भुलाया है|
दिल ने दिल को जब-जब ठुकराया है,
ज़माने से कोई एक साथ आया है|
कुछ नहीं कीमत यहाँ दिले-जज्बात की,
कीमत है जमाने में हर एक बात की|
विरले ही दिल को दिल से पढ़ पाते है,
लाखो में एक दिल को दिल से चाहते है|
हर किसी को सज़ा मिलती है दिल लगाने की-
फिर क्या फायदा दिल को तडपाने से -
बहुत कुछ है इस जमाने में -
कुछ नही रखा सिर्फ़ दिल लगाने में