अपनी तन्हाई से -
उसकी बेवफाई से ,
डर लगता है
अपनी परछाई से-
उसकी रुसवाई से ,
डर लगता है |
वो प्यार करता है -
मुझे हद से ज्यादा |
हो न जाए मुझसे जुदा -
उसकी जुदाई से डर
लगता है |
Tuesday, November 29, 2011
Monday, November 28, 2011
हो रहा भारत
आज फिर कुछ लोग सरकार की -
निंदा कर रहे थे |
हमारी ही तरह समय पास कर -
रहे थे |
किसी ने पार्क को पार्किंग -
बना दिया था |
कही किसी ने पेड़ काट-
दिया थे |
दोनों काम दोनों की
मर्ज़ी से हुए थे |
इल्ज़ाम सरकार के माथे मड़-
रहे थे
जनता सो रही है |
सरकार सुला रही है -
गरीबो को मीठी गोली -
खिला रही है ,
जो कर सकते है कर -
नहीं रहे -
व्यजन खाकर मीठी नीद ले रहे है |
मिला कर हाथ सरकार से -
गोलमाल कर रहे -
सरकार उनको चला रहीहै -
वो सरकार चला रहे है |
गरीब दो पाटो के बीच गेहू से -
पीस रहे है -
क्योकि -
सरकार ने उन्हें दाना डाल दिया है |
वो अपना मुह बंद रखे -
क्योकि सरकार देश नहीं खुद को -
चला रही है, देश खा रही है |
क्योकि सुनने में आ रहा है ............
हो रहा भारत ..............
निंदा कर रहे थे |
हमारी ही तरह समय पास कर -
रहे थे |
किसी ने पार्क को पार्किंग -
बना दिया था |
कही किसी ने पेड़ काट-
दिया थे |
दोनों काम दोनों की
मर्ज़ी से हुए थे |
इल्ज़ाम सरकार के माथे मड़-
रहे थे
जनता सो रही है |
सरकार सुला रही है -
गरीबो को मीठी गोली -
खिला रही है ,
जो कर सकते है कर -
नहीं रहे -
व्यजन खाकर मीठी नीद ले रहे है |
मिला कर हाथ सरकार से -
गोलमाल कर रहे -
सरकार उनको चला रहीहै -
वो सरकार चला रहे है |
गरीब दो पाटो के बीच गेहू से -
पीस रहे है -
क्योकि -
सरकार ने उन्हें दाना डाल दिया है |
वो अपना मुह बंद रखे -
क्योकि सरकार देश नहीं खुद को -
चला रही है, देश खा रही है |
क्योकि सुनने में आ रहा है ............
हो रहा भारत ..............
Friday, November 25, 2011
अंतर ...
एक कुत्ते के भोकने पर -
तमाम कुत्ते आ जाते है |
एक पंछी के चहकने पर ,
तमाम पंछी आ जाते है |
विपत्ति में फंसे आदमी -
की आवाज पर लाखो यूही
निकल जाते है ॥
विरले ही रुकते रुकाते है |
कहने कों हम इन्सान बुद्धिमान -
कहलाते है |
तमाम कुत्ते आ जाते है |
एक पंछी के चहकने पर ,
तमाम पंछी आ जाते है |
विपत्ति में फंसे आदमी -
की आवाज पर लाखो यूही
निकल जाते है ॥
विरले ही रुकते रुकाते है |
कहने कों हम इन्सान बुद्धिमान -
कहलाते है |
शादी के बाद
शादी के कुछ साल बाद सब कुछ बदल जाता है -
पति के विचार
पत्नी का आकर |
पति की बाते -
पत्नी की दिन-राते |
पति का हँसी मजाक -
पत्नी के लिए बकवास |
पति के रिश्ते नाते -
लगते कभी पत्नी कों काटे|
पति का रोज देर से आना -
पत्नी का रूठ के सो जाना |
धीरे -धीरे शादी के बाद -
सब कुछ बदल जाता है |
पति के विचार
पत्नी का आकर |
पति की बाते -
पत्नी की दिन-राते |
पति का हँसी मजाक -
पत्नी के लिए बकवास |
पति के रिश्ते नाते -
लगते कभी पत्नी कों काटे|
पति का रोज देर से आना -
पत्नी का रूठ के सो जाना |
धीरे -धीरे शादी के बाद -
सब कुछ बदल जाता है |
Tuesday, November 8, 2011
एक सुबह की सैर पर ....
कितनी बार कह दिया है जब अपना घर ले लिया है तो अपने घर में रहो यहाँ क्यों आते हो बार-बार ,पर सुनते कहा है उन्हें तो एक आया चाहिए बच्चा सम्भालने के लिया | पति को सुनाती हुई औरत जो सास भी थी |
जिस रंग का सूट उसी रंग की चपल्ल उसी रंग का पर्स उसी रंग का मेकप एक स्कूल टीचर |
आज फिर लेट हो रहे हो कितनी बार कहा है सारी तैयारी होम वर्क रात में करके रखा करो लेकिन नहीं तुम्हे तो टीवी के प्रोग्राम ज्यादा जरूरी है खाओ पापा की डाट कहो मुझे छोड़ के आओ, मुझे तो आज अपनी किट्टी पार्टी की तैयारी करनी है | बेटा ---पापा डैड ....
कार साफ करते हुए नेपाली लडको के मोबाईल से आते नये गाने की आवाजे ......हो मेरी छम्मक छल्लो ..|
पान और चाय की दुकानों में पपरो में छपी राजनीती की बिना सर पैर की बाते |
ओफिस के लिए जाते पति-पत्नी की तकरार |
स्कूल से कट मारकर लडके और लडकी की मौजमस्ती |
कॉलेज के युवा सिकरेट पीते हुए कुछ लडकियाँ भी |
ऐसे ही होती है बड़े शहर की कुछ -कुछ सुबह......
जिस रंग का सूट उसी रंग की चपल्ल उसी रंग का पर्स उसी रंग का मेकप एक स्कूल टीचर |
आज फिर लेट हो रहे हो कितनी बार कहा है सारी तैयारी होम वर्क रात में करके रखा करो लेकिन नहीं तुम्हे तो टीवी के प्रोग्राम ज्यादा जरूरी है खाओ पापा की डाट कहो मुझे छोड़ के आओ, मुझे तो आज अपनी किट्टी पार्टी की तैयारी करनी है | बेटा ---पापा डैड ....
कार साफ करते हुए नेपाली लडको के मोबाईल से आते नये गाने की आवाजे ......हो मेरी छम्मक छल्लो ..|
पान और चाय की दुकानों में पपरो में छपी राजनीती की बिना सर पैर की बाते |
ओफिस के लिए जाते पति-पत्नी की तकरार |
स्कूल से कट मारकर लडके और लडकी की मौजमस्ती |
कॉलेज के युवा सिकरेट पीते हुए कुछ लडकियाँ भी |
ऐसे ही होती है बड़े शहर की कुछ -कुछ सुबह......
Monday, November 7, 2011
कुछ नही
बस यूही कभी दिल -
करता है -
साये से बाते करता है
बस यूही ......
तन्हाई मेला लगती है -
अपनों से डर लगता है
बस यूही ....
जब होटों पर हँसी सी आती है -
दिल धक-धक सा करता है |
बस यूही ......
बस यूही कुछ नहीं मतलब फिरभी
दिल क्यों करता है |
बस यूही ....
करता है -
साये से बाते करता है
बस यूही ......
तन्हाई मेला लगती है -
अपनों से डर लगता है
बस यूही ....
जब होटों पर हँसी सी आती है -
दिल धक-धक सा करता है |
बस यूही ......
बस यूही कुछ नहीं मतलब फिरभी
दिल क्यों करता है |
बस यूही ....
बस yuhee
सभी तो मेरे साथ है |
फिरभी दिल उदास है |
हर -पल ज़िन्दगी करवट-
बदलती है -
मन छलती, तन बदलती है |
ज़िन्दगी नहीं किसी की सगी -
ये हरपल रूप बदलती है |
ज़िन्दगी को प्यार हम जितना -
करते है ये उतना हमे तड़पाती है |
मन के वश में नहीं , मन को वश
में करके चलो ये बात हमे सिखाती है -
फिर भी मन के वश में रहते है -
उदास तन्हा रहते है |
फिरभी दिल उदास है |
हर -पल ज़िन्दगी करवट-
बदलती है -
मन छलती, तन बदलती है |
ज़िन्दगी नहीं किसी की सगी -
ये हरपल रूप बदलती है |
ज़िन्दगी को प्यार हम जितना -
करते है ये उतना हमे तड़पाती है |
मन के वश में नहीं , मन को वश
में करके चलो ये बात हमे सिखाती है -
फिर भी मन के वश में रहते है -
उदास तन्हा रहते है |
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