Monday, May 24, 2010

टूटी फूटी दिल्ली की सडक

आने वाले कॉमनवेल्थ गेम की वजह से उम्मीद करती हु दिल्ली की ये टूटी फूटी सडक ठीक हो गयी होगी|

हमारी दिल्ली प्यारी दिल्ली

Saturday, May 22, 2010

विश्वाश

दिल टूटने की आवाज नहीं होती,
आखे जरुर नम होती है|
दिल टूटने पर हम सम्भल जाते है,
विस्वाश टूटने पर हम टूट जाते है|
कोशशि ये होनी चाहिए की दोस्ती हो
या प्यार विस्वाश ना टूटे|
यही इंसानियत है मेरी नजर में|

Thursday, May 13, 2010

दोस्ती को खेल मत समझो

दोस्ती कभी भी किसी से हो सकती है आज के समय में दोस्ती भी लोग मतलब से करते है जबकि मै सोचती हु मतलब से की गयी दोस्ती,दोस्ती नही होती|जो लोग बिना सोचे दोस्ती शब्द को इस्तेमाल करते है वो लोग दोस्ती को खेल समझते है| क्या आप भी ऐसा सोचते है?

Tuesday, May 4, 2010

समस्या और समाधान मेरी नजर में

एक बड़ा सा घर,उसमे जितने कमरे उतने प्राणी, तीन बड़ी कार एक लाइन या वाक्य में कहे तो घर में ऐशो-आराम के सारे साधन,एक दूसरे के साथ हो कर भी सभी एक दूसरे से बहुत दूर है और इस दूरी का कारण ढूढ़ रहे है शराब के प्याले, मोबाईल, टीवी और रुपे पैसे,अय्याशी में आखिर कब- तक|
२४ घंटे में कभी तो ऐसा होता ज़ब इन्सान-इन्सान बन कर सोचता होगा| कब- तक सिर्फ अपने लिए जमा करता रहेगा,सिर्फ अपने को देखता रहेगा सिर्फ अपने पेट भरेगा सिर्फ अपनी छत और घर को देखता रहेगा| कब- तक आख मुदे सपने में खोया रहेगा,२४ घंटे में कभी तो जागता होगा|अगर जागता है तो क्या वो कभी भी अपने आसपास अपने से छोटे लोगो का दर्द नही देखता उनके बारे में नही सोचता शायद नही सोचता, अगर सोचता तो वो कभी भी इतना अकेला और दुखी नही होता|
हम दुखी तब भी होते ही ज़ब सिर्फ दिमाग से ज्यादा सोचते है और दिमाग को जरूरत से ज्यादा महत्व देते है अपने दिमाग को दिल का साथी बना कर चलो,दिमाग को दिल का दुश्मन बना कर नही|
जो दुखी है वो केवल आज के बारे में सोच रहे है और जमा करते जा रहे है करते जा रहे है,ओर दूसरी तरफ वो है जो जमा कर तो रहे मगर बाट भी रहे है अपने लिए जी रहे है मगर दूसरो की भी सोच रहे है,और उनके लिए भी कुछ कर रहे है जो कर सकते है|
नेक कामो में परेशानी तो होती है मगर दिल को सुकून और दिलो की दुआ मिलती है उससे दिल को शांति ओर दिमाग को भी सुकून मिलाता है|

Monday, May 3, 2010

हम सोचते क्यों नही

जिस दिन इन्सान को इन्सान समझने लगेगा, और अपने लिए ही नहीं दुसरो के लिए भी सोचेगा, दिमाग के साथ- साथ दिल से भी काम लेगा उस दिन सब खुश होगे ऐसा मुझे लगता है|
एक दिन एक कोआ घायल हो गया उसकी मदद को तमाम कोआ जमा हो गए सब ने उसके पास घेरा बना लिया ताकि उसे कोई कष्ट न हो ज़बकि हम इन्सान हो कर भी ऐसा कम ही करते है आज हर कोई अपने आप मै मस्त और व्यस्त है| जबकि सबको पता एक दिन हम सबको मर जाना है और कुछ नहीं साथ जाना है|