Friday, December 9, 2011

मै सोई नही थी


मै सोई नहीं थी -
रात में जागी,संग तुम्हारे रात भर,
तुम क्या जानो ,रात भर रोई -
संग तुम्हारे|
तुम क्या जानो तुमने कितना -
खुद को उलझा लिया है |
आस पास तुमने अपने 'च्रकव्यूह'
रचा लिया है |
सुलझ-सुलझ कर मै उलझी
'च्रकव्यूह' मै तुम्हारे रात भर |
मै सोई नहीं थी ......
रात मै ........
हर एक तुम्हारा अपना है ,
हर एक के हो तुम करीब |
समझ के भी न समझे कुछ -
तुम थे मेरे सबसे समीप|
जान पूछ कर तुम ने अपना ,
हाल ये बना लिया है |
उलझ-उलझ कर मै न सुलझी -
सच जानो तुम रात भर |
मै सोई नहीं थी
रात मै जागी ....

Monday, December 5, 2011

क्यू



आपका सपनों में आना -
आके बातो का बनाना |
कर रहा दिल को मजबूर -
आ ना जाए मुझ में गुरुर ||
आपका सपनों ......
प्यार मुझको हो चुका है ,
मेरा खुदा भी हो चुका है |
दिल भी उसका हो ,
चुका है |
ना कर मुझको मुझसे दूर
आ ना जाए मुझ में गुरुर |
आपका सपनों में आना -
आके बातो का बनाना |
आप तो है एक सपना -
चुपके से आये ,जायेगे |
कभी अश्क कभी सपना ,
कभी दर्द बन जायेगे |
हो जाओ आखो से दूर -
आ ना जाए मुझ में गुरुर |
आपका सपनों में आना -
आके बातो का बनाना |

Tuesday, November 29, 2011

मतलब पता नही

अपनी तन्हाई से -
उसकी बेवफाई से ,
डर लगता है
अपनी परछाई से-
उसकी रुसवाई से ,
डर लगता है |
वो प्यार करता है -
मुझे हद से ज्यादा |
हो न जाए मुझसे जुदा -
उसकी जुदाई से डर
लगता है |

Monday, November 28, 2011

हो रहा भारत

आज फिर कुछ लोग सरकार की -
निंदा कर रहे थे |
हमारी ही तरह समय पास कर -
रहे थे |
किसी ने पार्क को पार्किंग -
बना दिया था |
कही किसी ने पेड़ काट-
दिया थे |
दोनों काम दोनों की
मर्ज़ी से हुए थे |
इल्ज़ाम सरकार के माथे मड़-
रहे थे
जनता सो रही है |
सरकार सुला रही है -
गरीबो को मीठी गोली -
खिला रही है ,
जो कर सकते है कर -
नहीं रहे -
व्यजन खाकर मीठी नीद ले रहे है |
मिला कर हाथ सरकार से -
गोलमाल कर रहे -
सरकार उनको चला रहीहै -
वो सरकार चला रहे है |
गरीब दो पाटो के बीच गेहू से -
पीस रहे है -
क्योकि -
सरकार ने उन्हें दाना डाल दिया है |
वो अपना मुह बंद रखे -
क्योकि सरकार देश नहीं खुद को -
चला रही है, देश खा रही है |
क्योकि सुनने में आ रहा है ............
हो रहा भारत ..............

Friday, November 25, 2011

अंतर ...

एक कुत्ते के भोकने पर -
तमाम कुत्ते आ जाते है |
एक पंछी के चहकने पर ,
तमाम पंछी आ जाते है |
विपत्ति में फंसे आदमी -
की आवाज पर लाखो यूही
निकल जाते है ॥
विरले ही रुकते रुकाते है |
कहने कों हम इन्सान बुद्धिमान -
कहलाते है |

शादी के बाद

शादी के कुछ साल बाद सब कुछ बदल जाता है -
पति के विचार
पत्नी का आकर |
पति की बाते -
पत्नी की दिन-राते |
पति का हँसी मजाक -
पत्नी के लिए बकवास |
पति के रिश्ते नाते -
लगते कभी पत्नी कों काटे|
पति का रोज देर से आना -
पत्नी का रूठ के सो जाना |
धीरे -धीरे शादी के बाद -
सब कुछ बदल जाता है |

Tuesday, November 8, 2011

एक सुबह की सैर पर ....

कितनी बार कह दिया है जब अपना घर ले लिया है तो अपने घर में रहो यहाँ क्यों आते हो बार-बार ,पर सुनते कहा है उन्हें तो एक आया चाहिए बच्चा सम्भालने के लिया | पति को सुनाती हुई औरत जो सास भी थी |
जिस रंग का सूट उसी रंग की चपल्ल उसी रंग का पर्स उसी रंग का मेकप एक स्कूल टीचर |
आज फिर लेट हो रहे हो कितनी बार कहा है सारी तैयारी होम वर्क रात में करके रखा करो लेकिन नहीं तुम्हे तो टीवी के प्रोग्राम ज्यादा जरूरी है खाओ पापा की डाट कहो मुझे छोड़ के आओ, मुझे तो आज अपनी किट्टी पार्टी की तैयारी करनी है | बेटा ---पापा डैड ....
कार साफ करते हुए नेपाली लडको के मोबाईल से आते नये गाने की आवाजे ......हो मेरी छम्मक छल्लो ..|
पान और चाय की दुकानों में पपरो में छपी राजनीती की बिना सर पैर की बाते |
ओफिस के लिए जाते पति-पत्नी की तकरार |
स्कूल से कट मारकर लडके और लडकी की मौजमस्ती |
कॉलेज के युवा सिकरेट पीते हुए कुछ लडकियाँ भी |
ऐसे ही होती है बड़े शहर की कुछ -कुछ सुबह......

Monday, November 7, 2011

कुछ नही

बस यूही कभी दिल -
करता है -
साये से बाते करता है
बस यूही ......
तन्हाई मेला लगती है -
अपनों से डर लगता है
बस यूही ....
जब होटों पर हँसी सी आती है -
दिल धक-धक सा करता है |
बस यूही ......
बस यूही कुछ नहीं मतलब फिरभी
दिल क्यों करता है |
बस यूही ....



बस yuhee

सभी तो मेरे साथ है |
फिरभी दिल उदास है |
हर -पल ज़िन्दगी करवट-
बदलती है -
मन छलती, तन बदलती है |
ज़िन्दगी नहीं किसी की सगी -
ये हरपल रूप बदलती है |
ज़िन्दगी को प्यार हम जितना -
करते है ये उतना हमे तड़पाती है |
मन के वश में नहीं , मन को वश
में करके चलो ये बात हमे सिखाती है -
फिर भी मन के वश में रहते है -
उदास तन्हा रहते है |

Monday, September 19, 2011

कुछ बाते

कुछ बाते 'कुछ लोगो' के लिए नहीं होती ,
क्योकि कुछ बाते 'कुछ लोगो ' के लिए ही होती है |
कुछ बाते 'कुछ लोगो ' को बताने से 'बताने वाले' पछताते है -
जिन्हें बताते है वो उलझ जाते है |
इसलिए कुछ बाते 'कुछ लोगो ' के लिए ही ,
होती है |
इसलिए कुछ बाते 'कुछ लोगो को नहीं बतानी चाहिए |
कुछ बाते कुछ खास लोगो कों ही बतानी चाहिए |

Thursday, August 25, 2011

अन्ना जी का साथ दो , देश कों सम्भाल लो

अन्ना जी हम देश वासियों के लिए अनशन पर बैठे है , देश में फैले भष्ट्राचार को वो मिटाना चाहते है जनता और सरकार के बीच पारदर्शिता चाहते है जो हम -सभी के हित के लिए है | सरकार उनकी सही मागो को भी नाजायज करार देकर जनता और अन्ना जी को गुमराह किये जा रही है | देश के हर कोने में आज भष्ट्राचार व्याप्त है छोटे बड़े हर कम के लिए अपने से ऊपर वाले को खुश करना पड़ता है , जो ईमानदार, कर्मठ है वो गधा है वो गरीब की रेखा पार ही नहीं कर पा रहा है | अन्ना जी के ऊपर कितना कीचड़ उछाला गया उनकी ईमानदारी को दागदार किया गया फिभी उन्होंने हर बात का सटीक उत्तर दे कर सरकार का सर थोडा नीचे तो किया चाहे सरकार माने या न माने जनता को भी कुछ कुछ समझ आ गया है आगे भी आ जाएगा |
नेता अपने जन्मदिन पर जनता का पैसा पानी की तरह बहाते है चुनावो में रूपया लुटते है उनका हिसाब कोई नहीं मागता मागेगा भी कौन ? बेचारी जनता इस महगाई के दौर में रोजी रोटी के जुगाड़ में लगी रहती है सरकार अपनी मनमानी करने में | पाप का घडा सहने की क्षमता हार चुकी है ऐसे समय में अन्ना जी राम का अवतार बनके भोली भाली जनता का दुःख हरने आये है रावण रूपी सरकार और भष्ट्राचार से ऊबारने ने लिए हम सभी को उनका साथ देना चाहिए अगर हम सच्चे हिन्दुस्तानी है |
इस आन्दोलन में कुछ अभिनेता भी आगे आये है लेकिन जिनको जनता महानायक समझती है वो इस आन्दोलन में नायक बनकर सामने दिखाई नहीं दिए जिनकी एक आवाज पर सभी हिन्दुस्तानी एक हो सकते है जिन्हें आज भी जनता सर आखो पर रखती है मेरे ख्याल से उन्हें इस आन्दोलन में अन्ना जी के साथ होना चाहिए , जिन्हें जनता इतना प्यार करती है उन्हें भी तो जनता के प्यार की कद्र होनी चहिये |
देश को जगाना है, अन्ना को जितना है ,
जो सत्य को दबा रहे , असत्य को जीता रहे |
उन्हें नीचा दिखाना है देश को बचाना है |
फैला हुआ है भष्ट्राचार ऊच नीच की दीवार ,
इन सब को अब गिरना है देश को बचाना है |
" इन्कलाब जिंदाबाद
भारत माता की जय "

Saturday, August 20, 2011

कुछ मुक्तक {अन्ना जी के लिए }

कांग्रेसियों के हाथ में देदो -
मिलकर सब एक गन्ना |
बहुत उड़ाया मॉल देश का -
अब चुसे सिर्फ गन्ना |
जय हो अन्ना अन्ना, जय हो अन्ना अन्ना |


हिन्द की जान हो तुम ,
हिन्द की शान हो तुम,
हिन्द का मान हो तुम ,
हिन्द की पहचान अब तुम -
हिन्द का आभिमान हो |
अन्ना {जी} तुम महान हो |
इस तरह ज़गाया सबको -
इस तरह मिलाया है |
देख कर दुश्मन का सर -
शर्म से झुक आया है |
आज हर एक भ्रष्ट्राचारी -
खुद से ही घबराया है |
शांतिपूर्ण अनशन से देखो -
कैसी चेतना आई है |
आज हर एक हिन्द का वासी -
नाम तुम्हारा ले रहा -
लोकपाल बिल पास करना -
बस इसी का ध्यान रहे |
हिन्द का मान रहे |


लोकपाल बिल लाना है|
जनता कों जिताना है |
अन्ना कों जिताना है |
सच सामने लाना है |
{इन्कलाब जिंदाबाद }




Wednesday, August 17, 2011

आज के आदर्श अन्ना जी ..

आज सारा भारत देश अन्ना जी के साथ है अन्ना जी की लोकप्रियता और लोगो का उत्साह देख कर ये अंदाजा सहज लगाया जा सकता है कि-आम जनता भ्रष्ट्राचार {बेईमानी } से कितनी परेशान हो चुकी है | सरकार ने अन्ना जी समेत जनता की आवाज को दबाने का पूरा प्रयास किया लेकिन सरकार को सच्चाई के सामने अपने घुटने टेकने ही पड़े आगे भी पड़ेगे ...
अन्ना जी जो सर से पांव तक मेहनत, ईमानदारी, सच्चाई, कर्मठता की मूर्ति है उन पर कांग्रेस के नेताओं ने अभ्रद भाषा का प्रयोग करते हुए अनेक लांछन लगाये है जिसके लिए उन्हें अन्ना जी के पैर पकड़ कर नाक{जो अब कांग्रेस के पास नहीं है } रगड़ कर माफी मागनी चहिये | हम सब भारत वासी अन्ना जी के लिए भगवान से प्रार्थना करते है कि भगवान जनता के भगवान और उनके सहयोगियों पर अपनी कृपा-द्रष्टि बनाये रखे |
जन-जन तुम्हारे साथ अन्ना -
अंग संग तुम्हारे भगवान है |
आगे बढ़ते जाना है अब -
मंजिल को अपनी पाना है |
बिछा रहे है शत्रु जाल अब -
डर कर कुछ है दब रहे |
रहना है होशियार अब -
सच्चाई का अब मान रहे |
कराना है अब पास बिल -
जन जन को ये ध्यान रहे |
जन- जन तुम्हारे साथ अन्ना -
अंग -संग तुम्हारे भगवान रहे |
आगे ---
कलयुग में बनकर राम अन्ना जी आये है |
बन कर कांग्रेसी रावण देखो कैसे आये है |
फैला रहे शत्रु जाल अपना, डरा रहे धमका रहे -
अब नहीं पीछे हटेगे उनको ये ध्यान रहे -
क्योकि -
शरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है -
देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है |


Wednesday, June 15, 2011

छोटी सी बात मगर ....

एक लड़की एक लड़के के साथ मोटरसाइकिल पर पीछे बैठ कर जा रही थी | हाफ तंग टीशर्ट,नीचे तंग जींस जिस में से उस लड़की की पैंटी और आधे से ज्यादा कमर साफ नजर आ रहे थी , लड़की उस लड़के से चिपट कर बैठी थी | लाल बत्ती पर उस शो को सब देख रहे थे और में उन सब को देखते हुए उस गरीब लडकी को देख रही थी जिसे गरीबी ने इस कद्र तंग कर दिया था की उसके कपड़े फटे जा रहे थे | दोनों में बस इतना अंतर था एक शौक में और दूसरी मजबूरी में थी |
सब के लिए वो प्रदर्शन की वस्तु बने हुए थे मेरे मन में अनेक दर्शन के सवाल जाग गये |

Thursday, March 31, 2011

खेल कों खेल रहने दो

कल भारत पाकिस्तान का मैच था {३० मार्च } लोग का जुनून पागल पन की हद पार करता दिखा | मीडिया और पेपर में देखन और पढने को मिला , कही हवन हो रहा है तो कही लोग अपने चेहरों पर झंडा जैसा रंग पुता कर चिल्ला चिल्ला कर भारत की जीत की कमाना कर रहे थे | कही जोर जोर से गाने लगाये जा रहे थे , तो कही पटाखों का शोर हर एक खिलाडी के आऊट होने पर हो रहा था | जब भारत जीता तो पटाखों के शोर ने कान फाड़ दिए | माना सालो बाद भारत विश्व कप के फाइनल में पहुचा है ख़ुशी की बात है लेकिन इस ख़ुशी को खेल के नजर से देखे ना कि भारत पाकिस्तान का मैच समझ कर |
मैच ख़त्म होने पर देर रात सडको पर शोर सुनाई देता रहा लडके अपनी धुनों में तेज़ रफ्तार अपनी बाइक पर सीटिया बजाते चिलाते रहे , बाइक की रफ्तार इतनी तेज़ थी कि अगर सामने कोई आ जाए तो गया काम से | खेल के नशे में अपनी ज़िन्दगी से खेलना क्या सही है | अगर युवाओं में उत्साह ज्यादा हो गया है तो देश में उन मसलो में दिखाए जो जरूरी है जिसकी देश को जरूरत है | उन कामो में जोश दिखाए जिससे देश का नाम हो और उनका भी | भारत और पाकिस्तान के मैच को सिर्फ खेल की नजर से और अपनी नजर से देखे न कि किसी और नजर से | मै क्या कहना चाह रही हु आप समझते है |

Thursday, March 10, 2011

मुखौटा

सबने मुखौटा लगा रखा है -
चेहरा असली छुपा रखा है |
खुल कर क्यों नही हँसते है -
क्यों दिल में गम रखते है |
करके झूठी-झूठी बाते -
खुद कों खुद से छलते है |
चिड़ते कुड़ते रहते है -
किसी से कुछ नही कहते है |
मुखौटे से काम चला रहे है -
खुद कों खुद से छिपा रहे है |

मन

मन कितना चंचल है यारो -
जितना पकड़ो उतना भागे |
छोड़ दिया मैने अब इसको -
इसकी किस्मत इसके हवाले |
बाधो कभी न मन कों मन से -
बाधा तो पछताओगे |
उड़ने दो मन कों मगन में -
देखो तुम मुस्काओगे |

Monday, March 7, 2011

पगली प्रीत

पगली प्रीत
तुम क्या जानो तुमने कितना -
मेरा दिल दुखाया है |
फिर भी तुमको समझ के अपना -
सब-कुछ हमने भुलाया है |
तुमने जाने-अनजाने में कभी -
हमको हँसाया था |
आज उसी हँसी के बदले -
सौ-सौ आसू रुलाया है |
बहुत कुछ सीख रहे है जग से -
कुछ सीख लिया तुमसे |
कितने सीधे सरल थे हम -
आज समझ में आया है |
तुम क्या जानो चाँद -चांदनी ,
टीम-टीम तारे प्यार-विश्वाश |
जिसे चाँद में सिर्फ दूर से -
दाग ही नंजर आया है |
बहुत आसां होता है भँवरे -
कलियों में इतराना -मडराना |
कभी किसे कली का प्यार -
तुझको ना समझ आया है |
हसना तो हम भूल गए थे -
रोना भी आता है कम |
आज उसे पलको पे उठाकर -
बहुत आसू बहाया है |
क्रमशा

Monday, February 21, 2011

घर

आज कल लोग घर में रहते है 'या'
घर लोगो में रहता है ,
आज कल इसी उलझन में मन -
रहता है |
बड़े-बड़े घरो में छोटे-छोटे लोग -
छोटे -छोटे घरो में बड़े -बड़े लोग ,
ऐसा मन मेरा कहता है |

बड़े घरो में ऐशो-आराम है -
सभी सुविधा का साजो सामान है ,
फिर भी इंसा बेचैन, परेशान है |
ऐसा भी मन को लगता है |

छोटे -छोटे घरो में घुटे -घुटे -
लोग, भीचे -भीचे जगह -
में लड़ते - भिड़ते लोग |
कभी उदासी कभी खुशी में -
दिखते हुए लोग -
ऐसा आखो से दिखता है |

घर के लिए लड़ते भिड़ते लोग -
अपनों को लुटते-खासुटते-
दर्द पहुचाते लोग -
बड़े घरो में छोटे -छोटे दिल
वाले लोग,
बड़े से कमरे में बुत बने लोग-
खुद को खोजते -टटोलते हुए लोग |
कभी कभी ऐसा लगता है |
लोग घरो में रहते है ,
या घर लोगो में रहता है |
इसी कशमाकश में दिल -
आज कल रहता है |

Thursday, February 3, 2011

कुछ भी

पिछले दो महीनो से मै अपने बेटे के स्कूल जा रही हु , मेरा रास्ता पुष्प-विहार से शुरू होकर मूलचंद के फलाई-ओवर तक जाता है | पिछले दो महीनों से ही मै एक औरत उम्र ४०-४५ एक पेड़ के नीचे अपनी ज़रूरत का सामान लेकर ,अपने आस-पास की जगह बहुत अच्छी तरह साफ करके अपना सामान लगाकर रहती है | साधारण रंग -रूप सामान्य कद-काठी की उस औरत को मै रोज रेड लाइट पर जब भी ऑटो रुकता है देखती रहती हु, बिना पैसे लिए और मागे वो अपने कम इतनी मेहनत और ईमानदारी से करती है उतनी मेहनत से करोड़ो डकारकर भी लोग नहीं करते |
उसके सामान मे एक छोटी सी सुराही उस पर छोटा सा गिलास, पेड़ से नीचे एक गद्दा उस पर एक मैली चादर उस पर फटी सी रिजाई गद्दा ज्यादा अच्छी हालत मे नहीं है | इसके साथ ही एक छोटी सी गठरी है जिसमे शायद उसके कुछ कपड़े होगे या उसकी कुछ यादे |
मे उसे रोज देखती हु कभी उदास हो जाती हु और कभी खुश होती हु , उदास ये सोचकर होती हु उसकी ये हालत किसने बनाई, क्या वजह है जो इस तरह रह रही है ना किसी को देखती है ना किसी से बात करती है बहुत बार सोचा उससे बात करू मगर मै कायर अभी तक ऐसा नहीं कर पाई न ही किसी और कायर को उससे बात करते देखा है | मैने उसे कभी आसू बहाते नहीं देखा इस लिए खुश हु लेकिन मै जानती हु अन्दर वो घुट-घुट कर रोंती होगी जब सारी दिल्ली सोती होगी |
पेरिस बनी इस दिल्ली मे हर इन्सान इतना व्यस्त हो गया है वो कुछ भी नहीं सोच रहा है अपने आस पास हो रही हरकतों पर अफसोस है न दुःख , ना वो ये सोच रहा है अपने आने वाले कल को हम क्या दे रहे है उसे बस आज का मनोरंजन चाहिए फिर चाहे जो भी करना पड़े |
जाती हुई ठण्ड में किसी कों उस औरत पर आज दया आ गई है आज उसके पास एक छोटी सी घटिया भी है धन्य है दिल्ली | उस घटिया के आस पास इतनी सफाई है जितनी बड़े बड़े मौल के आस-पास ढूडने से भी नही मिलेगी |