Wednesday, March 10, 2010

माँ की याद

माँ तुम्हारी याद आती है,
आ कर कर मुझे सताती है|
माँ तुम्हारी गोदी याद आती है-
जिसमे सोकर बचपन गुज़ारा-
रात-रात भर तुमको सताया|
फिर भी तुमने गले लगाया|
माँ तुम्हारी याद आती है-
वो रोटी याद आती है-
जब तुम मुझको खिलाती थी-
और मै भाग जाती थी ज़ब
तुम पकड़ने आती थी मै-
बिस्तर में छिप जाती थी|
माँ तुम्हारी याद आती है-
जब बिना बताये कही
जाती थी, और तुम मुझे ढूढ़ नहीं पाती थी
जब मै तुम्हे मिल जाती थी-
तुम मेरी मार लगाती थी|
फिर खुद ही गले लगाती थी|
माँ तुम्हारी याद आती है-
तुम्हारे आंसू तुम्हारा दर्द-
सब कुछ अभी भी याद है-
माँ तू हरदम मेरे साथ है|

Friday, March 5, 2010

मन का भ्रम

मन के साथ उड़ रहा है मन,
पखं पसारे-
जान के अनजान है-
मन,मन से परेशान है|
कुछ हाथ नहीं आएगा-
मन समझ नहीं पायेगा|
चाँद की है चांदनी-
आकाश के है तारे|
धरती का आकाश,
फूल की सुगधं
कुछ नहीं मन के संग|
तू क्यों पखं पसारे
दिल के पिंजरे में-
कैद हो जा मन|
क्यों तू पखं पसारे-
छिप के नीर बहा ले|
मन तू मन को समझ ले
मन तू मन को बहला ले|
मन को मन कही बहका न ले|