प्यार के सागर में डूबे हुए है,
फिरभी पूरे सूखे हुए है |
ना समझेगे वो बात हमारी-
खुद जो अपने में उलझे हुए है |
शहद से मीठे है सभी के लिए जो
नीम वो मेरे लिए बने हुए है |
यू तो बरसते है बादल हर जगह -
रेगिस्तान धरती पे भरे हुए है |
आसू वो सभी कों दिखाते नही है -
दिलो पे जो चोट लिए हुए है |
क्यों रोज बहाती है आसू चांदनी -
पत्तो के दिल पथराये हुए है |
प्यार कों प्यार सब समझते नही है ,
कुछ ही लोग पगलाए हुए है |
No comments:
Post a Comment