Friday, December 9, 2011

मै सोई नही थी


मै सोई नहीं थी -
रात में जागी,संग तुम्हारे रात भर,
तुम क्या जानो ,रात भर रोई -
संग तुम्हारे|
तुम क्या जानो तुमने कितना -
खुद को उलझा लिया है |
आस पास तुमने अपने 'च्रकव्यूह'
रचा लिया है |
सुलझ-सुलझ कर मै उलझी
'च्रकव्यूह' मै तुम्हारे रात भर |
मै सोई नहीं थी ......
रात मै ........
हर एक तुम्हारा अपना है ,
हर एक के हो तुम करीब |
समझ के भी न समझे कुछ -
तुम थे मेरे सबसे समीप|
जान पूछ कर तुम ने अपना ,
हाल ये बना लिया है |
उलझ-उलझ कर मै न सुलझी -
सच जानो तुम रात भर |
मै सोई नहीं थी
रात मै जागी ....

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