Tuesday, November 24, 2009

कुछ नही रखा सिर्फ़ दिल लगाने में

बहुत कुछ है इस जमाने में -
कुछ नहीं रखा सिर्फ दिल लगाने में|
लगा के दिल,आखो को रुलाओगे-
खुद को भी ढूढ़ नहीं पाओगे|
ना आस पास किसी को पाओगे|
तब ज़माने की याद आएगी-
दिल से बड़ा दर्द नज़र आएगा-
फिर खुद को जान पायेगा|
उठा के कदम जब बढाओगे|
कोई ना कोई मिल जाएगा,
दर्द बाटने के लिए|
कुछ नहीं रखा घुट घुट के जिए जाने में
बहुत कुछ है इस जमाने में
कुछ नहीं रखा सिर्फ दिल लगाने में|
लगा के दिल किसने क्या पाया है ,
लगा के दिल अपनों को भुलाया है|
दिल ने दिल को जब-जब ठुकराया है,
ज़माने से कोई एक साथ आया है|
कुछ नहीं कीमत यहाँ दिले-जज्बात की,
कीमत है जमाने में हर एक बात की|
विरले ही दिल को दिल से पढ़ पाते है,
लाखो में एक दिल को दिल से चाहते है|
हर किसी को सज़ा मिलती है दिल लगाने की-
फिर क्या फायदा दिल को तडपाने से -
बहुत कुछ है इस जमाने में -
कुछ नही रखा सिर्फ़ दिल लगाने में

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