Monday, February 21, 2011

घर

आज कल लोग घर में रहते है 'या'
घर लोगो में रहता है ,
आज कल इसी उलझन में मन -
रहता है |
बड़े-बड़े घरो में छोटे-छोटे लोग -
छोटे -छोटे घरो में बड़े -बड़े लोग ,
ऐसा मन मेरा कहता है |

बड़े घरो में ऐशो-आराम है -
सभी सुविधा का साजो सामान है ,
फिर भी इंसा बेचैन, परेशान है |
ऐसा भी मन को लगता है |

छोटे -छोटे घरो में घुटे -घुटे -
लोग, भीचे -भीचे जगह -
में लड़ते - भिड़ते लोग |
कभी उदासी कभी खुशी में -
दिखते हुए लोग -
ऐसा आखो से दिखता है |

घर के लिए लड़ते भिड़ते लोग -
अपनों को लुटते-खासुटते-
दर्द पहुचाते लोग -
बड़े घरो में छोटे -छोटे दिल
वाले लोग,
बड़े से कमरे में बुत बने लोग-
खुद को खोजते -टटोलते हुए लोग |
कभी कभी ऐसा लगता है |
लोग घरो में रहते है ,
या घर लोगो में रहता है |
इसी कशमाकश में दिल -
आज कल रहता है |

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