Monday, November 28, 2011

हो रहा भारत

आज फिर कुछ लोग सरकार की -
निंदा कर रहे थे |
हमारी ही तरह समय पास कर -
रहे थे |
किसी ने पार्क को पार्किंग -
बना दिया था |
कही किसी ने पेड़ काट-
दिया थे |
दोनों काम दोनों की
मर्ज़ी से हुए थे |
इल्ज़ाम सरकार के माथे मड़-
रहे थे
जनता सो रही है |
सरकार सुला रही है -
गरीबो को मीठी गोली -
खिला रही है ,
जो कर सकते है कर -
नहीं रहे -
व्यजन खाकर मीठी नीद ले रहे है |
मिला कर हाथ सरकार से -
गोलमाल कर रहे -
सरकार उनको चला रहीहै -
वो सरकार चला रहे है |
गरीब दो पाटो के बीच गेहू से -
पीस रहे है -
क्योकि -
सरकार ने उन्हें दाना डाल दिया है |
वो अपना मुह बंद रखे -
क्योकि सरकार देश नहीं खुद को -
चला रही है, देश खा रही है |
क्योकि सुनने में आ रहा है ............
हो रहा भारत ..............

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