Tuesday, November 8, 2011

एक सुबह की सैर पर ....

कितनी बार कह दिया है जब अपना घर ले लिया है तो अपने घर में रहो यहाँ क्यों आते हो बार-बार ,पर सुनते कहा है उन्हें तो एक आया चाहिए बच्चा सम्भालने के लिया | पति को सुनाती हुई औरत जो सास भी थी |
जिस रंग का सूट उसी रंग की चपल्ल उसी रंग का पर्स उसी रंग का मेकप एक स्कूल टीचर |
आज फिर लेट हो रहे हो कितनी बार कहा है सारी तैयारी होम वर्क रात में करके रखा करो लेकिन नहीं तुम्हे तो टीवी के प्रोग्राम ज्यादा जरूरी है खाओ पापा की डाट कहो मुझे छोड़ के आओ, मुझे तो आज अपनी किट्टी पार्टी की तैयारी करनी है | बेटा ---पापा डैड ....
कार साफ करते हुए नेपाली लडको के मोबाईल से आते नये गाने की आवाजे ......हो मेरी छम्मक छल्लो ..|
पान और चाय की दुकानों में पपरो में छपी राजनीती की बिना सर पैर की बाते |
ओफिस के लिए जाते पति-पत्नी की तकरार |
स्कूल से कट मारकर लडके और लडकी की मौजमस्ती |
कॉलेज के युवा सिकरेट पीते हुए कुछ लडकियाँ भी |
ऐसे ही होती है बड़े शहर की कुछ -कुछ सुबह......

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