Tuesday, May 4, 2010

समस्या और समाधान मेरी नजर में

एक बड़ा सा घर,उसमे जितने कमरे उतने प्राणी, तीन बड़ी कार एक लाइन या वाक्य में कहे तो घर में ऐशो-आराम के सारे साधन,एक दूसरे के साथ हो कर भी सभी एक दूसरे से बहुत दूर है और इस दूरी का कारण ढूढ़ रहे है शराब के प्याले, मोबाईल, टीवी और रुपे पैसे,अय्याशी में आखिर कब- तक|
२४ घंटे में कभी तो ऐसा होता ज़ब इन्सान-इन्सान बन कर सोचता होगा| कब- तक सिर्फ अपने लिए जमा करता रहेगा,सिर्फ अपने को देखता रहेगा सिर्फ अपने पेट भरेगा सिर्फ अपनी छत और घर को देखता रहेगा| कब- तक आख मुदे सपने में खोया रहेगा,२४ घंटे में कभी तो जागता होगा|अगर जागता है तो क्या वो कभी भी अपने आसपास अपने से छोटे लोगो का दर्द नही देखता उनके बारे में नही सोचता शायद नही सोचता, अगर सोचता तो वो कभी भी इतना अकेला और दुखी नही होता|
हम दुखी तब भी होते ही ज़ब सिर्फ दिमाग से ज्यादा सोचते है और दिमाग को जरूरत से ज्यादा महत्व देते है अपने दिमाग को दिल का साथी बना कर चलो,दिमाग को दिल का दुश्मन बना कर नही|
जो दुखी है वो केवल आज के बारे में सोच रहे है और जमा करते जा रहे है करते जा रहे है,ओर दूसरी तरफ वो है जो जमा कर तो रहे मगर बाट भी रहे है अपने लिए जी रहे है मगर दूसरो की भी सोच रहे है,और उनके लिए भी कुछ कर रहे है जो कर सकते है|
नेक कामो में परेशानी तो होती है मगर दिल को सुकून और दिलो की दुआ मिलती है उससे दिल को शांति ओर दिमाग को भी सुकून मिलाता है|

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