Monday, May 3, 2010

हम सोचते क्यों नही

जिस दिन इन्सान को इन्सान समझने लगेगा, और अपने लिए ही नहीं दुसरो के लिए भी सोचेगा, दिमाग के साथ- साथ दिल से भी काम लेगा उस दिन सब खुश होगे ऐसा मुझे लगता है|
एक दिन एक कोआ घायल हो गया उसकी मदद को तमाम कोआ जमा हो गए सब ने उसके पास घेरा बना लिया ताकि उसे कोई कष्ट न हो ज़बकि हम इन्सान हो कर भी ऐसा कम ही करते है आज हर कोई अपने आप मै मस्त और व्यस्त है| जबकि सबको पता एक दिन हम सबको मर जाना है और कुछ नहीं साथ जाना है|

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