Wednesday, March 18, 2009

तेरी मेरी कहानी

ज़ब भी मैं सुबह उठती हु सोचती हु ये करुगी वो करुगी लेकिन क्या मैं वो सब पूरा कर पाती हु नहीं क्यों?क्योकि मैं अपने इरादे की पक्की नहीं हु,लेकिन मैं अपना काम खुद पूरा करना चाहती हु पति की मदद के बिना कबतक पति की मदद लेते रहेगे और डाट सुनते रहेगे| कभी-कभी पति की डाट बहुत बुरी लगती है और उनकी किसी प्रकार की मदद भी जहर लगती है मेरे ये शब्द शायद उन्हें बुरे लगे लेकिन जो लगता है वोही तो लिखुगी| मैं ही नहीं बहुत सी औरते ऐसा ही सोचती है मुख से कहती नहीं हम औरते की नज़र में पति ही सब कुछ है पति की नज़र में हम क्या है{मेरे पति मुझे आज़ादी देते है और कहते है तुम जो मर्जी आये करो,ऐसा कुछ मत करना जिससे बच्चे और मुझे परेशानी हो मैं उनसे कहती हु तुम्हारी आज़ादी का मुझे क्या फायदा,एक तो मुझे इंग्लिश अच्छी आती नहीं,बाहरी दुनिया की इतनी समझ नहीं,पति ने आज़ादी दे कर अपना पल्ला छुड़वा लिया,घर और बच्चे देखना उसके बाद काम और ससुराल की खिच-खिच पिच-पिच इन के बीच अपने लिए कुछ करना एक शादी शुदा औरते के लिए मुश्किल होता है जो कान आख बंद कर ले वो ही कर सकती है या कुछ हमारी तरह जो करना चाहती पर डरती है किससे पति से,समाज या सास से या खुद से}|
मैं अपने इरादे की पक्की होना चाहती हु हो सकती हु,मुझे पता है अगर मैं अपना बारे में एक इन्सान की तरह सोंचू तो मेरी समस्या हल हो जायेगी लेकिन मैं एक नारी बन कर सोचुगी तो समस्या शायद हल ना हो| हम नारी ऐसा क्यों नहीं सोचती| मेरे साथ साथ आप सब नारी भी इन्सान बनकर अपने बारे में सोचो तो शायद हम सब नारी ज्यादा खुश और तरक्की कर पाए अपनी और समाज की| ऐसा मुझे लगता है शायद सही हो शायद ना भी लेकिन एक बार ऐसा सोचने और करने में क्या बुराई है|
सुबह आखं खुलने से लेकर रात सोने तक हम- सब औरते कितना अपने लिए सोचते है और कितना अपने परिवार के लिए ये हम सब औरते अच्छी तरह जानती है| परिवार के लिए सोचना ठीक है लेकिन अपने लिए भी सोचना चाहिय हर वक्त पति, बच्चे और ससुराल इसके सिवा कुछ नहीं क्यों? जब कभी में इस बारे अपनी सहेलियों से पूछती हु तो सबका एक ज़वाब होता है,यार अब क्या अपने बारे में सोचे, इतना वक्त तो आटा-रोटी में गुजर गया,बाकी का भी गुजर जायेगा|कभी-कभी में भी ऐसा सोचती हू,लेकिन क्यों हम-सब ऐसा सोचते हैं|
जीवन बार-बार नहीं मिलता,इस छोटे से जीवन में ही हमे औरो के लिए जीते हुए,करते हुए,अपने लिए भी कुछ करना होगा|
शायद कमजोरी हम औरतो के अंदर है जिसने जेसा कहा मान लिया अपनी बुद्धि का इस्तेमाल नहींकिया पढ़-लिख कर भी दूसरों पर आश्रति होना अपनी खूबी समझते हैं हम औरते,{कुछ एक आध को छोड़ कर }कुछ एक आध औरते है जो अपने निर्णय खुद लेती है, गलतियाँ भी करती है{लेकिन इसांन गलती करके ही सीखता है ये हम सब जानते है}खूब सोचती भी है कभी-कभी बहुत रोती भी है ज़ब कोई सामान ठीक नहीं आता और पति कुछ नहीं कहते,चुप रहते है, क्योकि ऐसे पति जानते है आज गलती की, कल जरुर सीख जायेगी| {मेरी पति ऐसे ही है मेरे पति जेसे और भी पति होगे जो अपनी पत्नियों को सीखाने में रूचि रखते होगे|
हमारे अंदर ही ख़ुशी है,हमारे अंदर ही दर्द, हमारे पास ही ताकत,जरूरत है उसे पहचानने की, कोशिश करे तो सब हो जायेगा| किसी एक को आगे आने ज़रूरत है| थोडा मै कोशिश कर रही हू थोडा आप करो| हम सब औरते अपने बारे में भी सोचे और,घर परिवार के बारे में भी,अपनी ज़िम्मेदारी को समझते हुए अपने लिए भी सोचे आप क्या चाहती है?
{ कुछ गलत लिखा हो तो माफी चाहती हू}

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