jab jaago tabhi savera
Tuesday, March 24, 2009
दर्द
जब
दर्द
हद
से
बढ़
जाता
हैं
,
तब
अश्को
में
ढल
जाता
हैं
|
जो
दिल
में
छिपा
रह
जाता
हैं
,
वो
रोग
में
बदल
जाता
हैं
|
दर्द
को
अश्को
में
बह
जाने
दो
,
या
पन्नो
में
बिछ
जाने
दो
|
या
पास
हैं
कोई
साथी
प्यारा
,
उस
संग
घुल
-
मिल
जाने
दो
|
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